Chatur Mas Ke Niyam
देवशयनी एकादशी के दूसरे दिन से चातुर्मास प्रारम्भ करना चाहिये यह विष्णु भगवान के शयन का व्रत है।
करना
जब सूर्य नारायण कर्क राशि में स्थित हों तब विष्णु भगवान को शयन कराना चाहिये।
व्रत विधान–भगवान विष्णु का प्रतिमा को सर्वप्रथम स्नान कराकर श्वेत वस्त्र धारण कराकर शैया पर शयन कराना चाहिये।
उनका धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजन करके स्तुति करनी चाहिये।
भगवान से प्रार्थना करें कि आप बार मास तक शयन कीजिए और तब तक मेरे इस चतुर्मास व्रत को निर्विध्न रखें।
देवशयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी तक चातुर्मास्य व्रत करना चाहिये।
व्रत के नियम
1. चातुर्मास्य के दिनों में विष्णु भगवान को दही, दूध, घी, शहद और मिश्री के द्वारा स्नान कराना चाहिये तथा धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य आदि से पूजा करनी चाहिये।
2. नित्य भोजन के भोग में तुलसी जी अर्पित करें।
3. प्रतिदिन संध्या समय दीप-दान करना चाहिये।
चातुर्मास्य में वस्त्र आदि का दान-पुण्य करना चाहिये ।
4. प्रतिदिन भगवान का चरणामृत लेना चाहिये।
5. विष्णु भगवान के मन्दिर में नित्य प्रति एक सौ आठ बार गायत्री मन्त्र का जप करना चाहिये । पुराणों और धर्मशास्त्रों का पठन या श्रवण करके वेदपाठी ब्राह्मणों को वस्त्रों का दान करना चाहिये।
6. इस समयावधि में शिवजी की स्तुति करके भगवान शिव की
प्रतिमा का दान करना चाहिये।
7. प्रतिदिन प्रात: सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और गायत्री मंत्र दारा तिल या अन्न से हवन करें और चातुर्मास्य की समाप्ति पर
तिल या अन्न का दान करें।
8. चातुर्मास्य में अत्यधिक दान-पुण्य के कार्यो को विशेष महत्व
दिया जाता है जैसे उत्तम ध्वनि वाले घन्टे का दान, तांबे के पात्र का दान, तिल, तेल का दान, शय्यादान, शाक या फलों का दान, चावल जौ, सोंठ, मिर्च, पीपल, हल्दी का दान, बैल-दान तथा ब्राह्मणों को भोजन कराना आदि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सामर्थ्यानसार दान कार्य करने चाहिये।