Dussehra Ki Kahani

Dussehra Ki Kahani

विजयदशमी यानी दशहरा नवरात्रि खत्म होने के अगले दिन मनाया जाता है। क्योंकि इस पर्व का सीधा संबंध मां दुर्गा से माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम ने रावण का इस दिन वध किया था। साथ ही ये भी कहा जाता है कि रावण का वध करने से पहले उन्होंने समुद्र तट पर 9 दिनों तक मां दुर्गा की अराधना की थी

फिर दसवें दिन उन्हें विजय प्राप्त हुई। एक मान्यता ये भी है कि मां दुर्गा ने नौ रात्रि और दस दिन के युद्ध के बाद राक्षस महिषासुर का वध किया था।

दशहरा पर्व को असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है साथ ही ये पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता है। जिस कारण इसे विजयादशमी के नाम से जाना जाता है।

पूरे साल में 3 तिथियों को सबसे ज्यादा शुभ माना गया है। जिसमें से एक तिथि दशहरा की है। अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल और कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा तिथि।

मान्यताओं के अनुसार महिषासुर नामक एक राक्षस था जिसे ब्रह्मा से आशीर्वाद मिला था कि पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति उसे नहीं मार सकता है। इस आशीर्वाद के कारण उसने तीनों लोक में हाहाकार मचा रखा था। इसके बढ़ते पापों को रोकने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्ति को मिलाकर माँ दुर्गा का सृजन किया।

माँ दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर का मुकाबला किया और दसवे दिन माँ दुर्गा ने इस असुर का वध कर किया। जिसके फलस्वरूप लोगों को इस राक्षस से मुक्ति मिल गई और चारों तरफ हर्ष का मौहाल हो गाया। क्योंकि मां दुर्गा को दसवें दिन विजय प्राप्त हुई थी इस कारण इस दिन को दशहरा या विजयादशमी के रूप में मनाया जाने लगा।

दशहरा मनाने के पीछे एक कारण ये भी है कि इस दिन राम भगवान ने अत्याचारी रावण का वध किया था। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण को मारने से पहले देवी के सभी नौ रूपों की पूरी विधि विधान के साथ पूजा की और मां के आशीर्वाद से दसवें दिन उन्हें जीत हासिल हुई। जिससे अर्धम पर धर्म की जीत के इस त्योहार को आज तक बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

भारत के कई राज्यों में रावण दहन नामक एक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जहाँ पटाखे के साथ रावण की मूर्ति को जलाया जाता है।

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