Dusshera Kyu Manaya Jata Hai

Dusshera Kyu Manaya Jata Hai

दशहरा पर्व की कहानी  क्या है , क्यों मनाया जाता है

दशहरा के दिन के पीछे कई कहानियाँ हैं, जिनमे सबसे प्रचलित कथा हैं भगवान राम का युद्ध जीतना अर्थात रावण की बुराई का विनाश कर उसके घमंड को तोड़ना.

राम अयोध्या नगरी के राजकुमार थे, उनकी पत्नी का नाम सीता था एवम उनके छोटे भाई थे, जिनका नाम लक्ष्मण था. राजा दशरथ राम के पिता थे. उनकी पत्नी कैकई के कारण इन तीनो को चौदह वर्ष के वनवास के लिए अयोध्या नगरी छोड़ कर जाना पड़ा. उसी वनवास काल के दौरान रावण ने सीता का अपहरण कर लिया.

रावण चतुर्वेदो का ज्ञाता महाबलशाली राजा था, जिसकी सोने की लंका थी,  लेकिन उसमे अपार अहंकार था. वो महान शिव भक्त था और खुद को भगवान विष्णु का दुश्मन बताता था. वास्तव में रावण के पिता विशर्वा एक ब्राह्मण थे एवं माता राक्षस कुल की थी, इसलिए रावण में एक ब्राह्मण के समान ज्ञान था एवम एक राक्षस के समान शक्ति और इन्ही दो बातों का रावण में अहंकार था. जिसे ख़त्म करने के लिए भगवान विष्णु ने रामावतार लिया था.

राम ने अपनी सीता को वापस लाने के लिए रावण से युद्ध किया, जिसमे वानर सेना एवम हनुमान जी ने राम का साथ दिया. इस युद्ध में रावण के छोटे भाई विभीषण ने भी भगवान राम का साथ दिया और अन्त में भगवान राम ने रावण को मार कर उसके घमंड का नाश किया.

इसी विजय के स्वरूप में प्रति वर्ष विजियादशमी मनाई जाती हैं. अगर आप महाभारत रामायण की कहानी  पढ़ना चाहते है, तो क्लिक करें.

दशहरा पर्व से जुड़ी कथाएं

1.राम की रावन पर विजय का पर्व
2.राक्षस महिसासुर का वध कर दुर्गा माता विजयी हुई थी
3.पांडवों का वनवास
4.देवी सती अग्नि में समां गई थी.

आज दहशरा कैसे मनाया जाता हैं ? (Dussehra Festival Celebration in India)

आज के समय में दशहरा इन पौराणिक कथाओं को माध्यम मानकर मनाया जाता हैं. माता के नौ दिन की समाप्ति के बाद दसवे दिन जश्न के तौर पर मनाया जाता हैं. जिसमे कई जगहों पर राम लीला का आयोजन होता है, जिसमे कलाकार रामायण के पात्र बनते हैं और राम-रावण के इस युद्ध को नाटिका के रूप में प्रस्तुत करते हैं.

दशहरा का मैला  (Dussehra Festival Mela):

कई जगहों पर इस दिन मैला लगता है, जिसमे कई दुकाने एवम खाने पीने के आयोजन होते हैं. उन्ही आयोजनों में नाट्य नाटिका का प्रस्तुतिकरण किया जाता हैं.

इस दिन घरों में लोग अपने वाहनों को साफ़ करके उसका पूजन करते हैं. व्यापारी अपने लेखा का पूजन करते हैं. किसान अपने जानवरों एवम फसलो का पूजन करता हैं. इंजिनियर अपने औजारों एवम अपनी मशीनों का पूजन करते हैं.

इस दिन घर के सभी पुरुष एवम बच्चे दशहरे मैदान पर जाते हैं. वहाँ रावण, कुम्भकरण एवम रावण पुत्र मेघनाथ के पुतले का दहन करते है. सभी शहर वासियों के साथ इस पौराणिक जीत का जश्न मनाते हैं. मैले का आनंद लेते हैं. उसके बाद शमी पत्र जिसे सोना चांदी कहा जाता हैं उसे अपने घर लाते हैं. घर में आने के बाद द्वार पर घर की स्त्रियाँ, तिलक लगाकर आरती उतारकर स्वागत करती हैं. माना जाता हैं कि मनुष्य अपनी बुराई का दहन करके घर लौटा है

, इसलिए उसका स्वागत किया जाता हैं. इसके बाद वो व्यक्ति शमी पत्र देकर अपने से बड़ो के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेता हैं. इस प्रकार घर के सभी लोग आस पड़ोस एवम रिश्तेदारों के घर जाकर शमी पत्र देते हैं एवम बड़ो से आशीर्वाद लेते हैं, छोटो को प्यार देते हैं एवम बराबरी वालो से गले मिलकर खुशियाँ बाटते हैं.

अगर एक पंक्ति में कहे तो यह पर्व आपसी रिश्तो को मजबूत करने एवम भाईचारा बढ़ाने के लिए होता हैं, जिसमे मनुष्य अपने मन में भरे घृणा एवम बैर के मेल को साफ़ कर एक दुसरे से एक त्यौहार के माध्यम से मिलता हैं.

इस प्रकार यह पर्व भारत के बड़े- बड़े पर्व में गिना जाता हैं एवम पुरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं.

हमारे देश में धार्मिक मान्यताओं के पीछे बस एक ही भावना होती हैं, वो हैं प्रेम एवं सदाचार की भावना. यह पर्व हमें एकता की शक्ति याद दिलाते हैं जिन्हें हम समय की कमी के कारण भूलते ही जा रहे हैं, ऐसे में यह त्यौहार ही हमें अपनी नींव से बाँधकर कर रखते हैं.

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