Karva Chauth (Kartik Mahine Ki Kahani)

Karva Chauth (Kartik Mahine Ki Kahani)

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला करवा चौथ व्रत स्त्रियों का सर्वाधिक प्रिय व्रत हैं। इस दिन सौभाग्यावती स्त्रियां पति के स्वास्थ्य दीर्घायु एवं मंगल की कामना करती हैं। यह व्रत सौभाग्य और शुभ सन्तान देने वाला है। इस व्रत को करने वाली स्त्रियां प्रात: काल स्नान आदि के बाद आचमन करके पति, पुत्र,पौत्र तथा सुख-सौभाग्य का संकल्प लेकर यह व्रत करती है । इस व्रत में शिव-पार्वती, श्री कार्तिकेय, श्री गणेश और चन्द्रमा का पूजन किया जाता है । इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत करती हैं।सायंकाल स्त्रियां नहा-धोकर समस्त वस्त्राभूषण श्रृंगार आदि करके शिव-पार्वती, कार्तिकेय और श्रीगणेश तथा चौथमाता का पूजन करती हैं।

पूजन में एक मिट्टी का करवा अवश्य होना चाहिये जिसमें जल भरते हैं। पूजन के बाद करवा चौथव्रत की कथाएं सुनते हैं और चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करते हैं । चन्द्रोदय होने पर चन्द्रमा की भी पूजा करके अर्ध्य देते हैं।

चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद सभी स्त्रियां अपने से बड़ी स्त्रियों के पैर छूकर आर्शीवाद लेती हैं। फिर प्रत्येक स्त्री घर आकर पति के चरणस्पर्श करती हैं।

तत्पश्चात् पति उस मिट्टी के करवे से पत्नि की अर्जुलि में जल डालता है और पत्नी तभी जल ग्रहण करती हैं। उसके बाद स्त्रियां चाहें तो कुछ भी खा सकती हैं।

इस दिन स्त्रियां सुहाग सामग्री का दान करती हैं।

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